रायपुर ///// आज सुबह 2021 के पहले दिन की खूबसूरत तस्वीर को कैमरे
में कैद करने का सुखद अनुभव प्राप्त हुआ है वर्ष 2020 संपूर्ण विश्व के लिए हादसों का वर्ष था
ज्योतिष गणना करने वाले कहते हैं कि प्रति 100 वर्ष में प्रकृति अपना रूप दिखाती है ,और
मनुष्य रूपी पृथ्वी के सर्वश्रेष्ठ जीव को यह संकेत देती है कि वह जिस मार्ग पर जा
रहा है उसका विनाश निश्चित ही है, फिर भी मानव प्रजाति तरह-तरह के कुतर्कों तर्कों को देते हुए प्रकृति के इन संकेतों को अनदेखा करती है और परिणाम
भुगत रही होती है प्रकृति के संकेतों का मतलब है कि उसके मूल रूप का दोहन सिर्फ और
सिर्फ इतना करना चाहिए जितना उसके जीवन के लिए आवश्यक हो लेकिन विकास की अंधाधुंध दौड़ में मानव लगा हुआ है और प्रकृति उसे संकेत
दे रहे हैं
हर 100 वर्ष में किसी न किसी रूप में महामारी फैलती है और करोड़ों लोग काल के कराल
काल में समा जाते हैं 1920 में प्ले गने कहर बरपाया था आंकड़े
बताते हैं कि 10 करोड़ से भी अधिक लोग असल में मृत्यु के शिकार हो गए थे 2020 में करोना ने अपने पंख फैलाए हैं जिसकी
चपेट में अभी तक 10 करोड़ लोग संक्रमित हो गए हैं मौत का आंकड़ा भी एक करोड़ के आसपास
पूरी दुनिया में पहुंच गया है और अभी भी इसके माकूल रोकथाम के तरीके मानव नहीं खोज
पाया है इस वक्त पूरी पृथ्वी के मानव विक्रांत हैं जीवन के लिए त्राहिमाम
त्राहिमाम मचा हुआ है लोग मैंने पहली बार ऐसा देखा है जब सालों से घरों के अंदर
बंद है बाहर नहीं निकल पा रहे तरह-तरह के उपाय जीने के लिए लगा रहे हैं इसकी चपेट
में राजा हो या रंक सही समान है वह उन्हें नहीं छोड़ रहा है इस वायरस का जन्म भले ही चीन के बुहान शहर
में हुआ हो लेकिन अब यह अपने मूलभूत परिवर्तनों के बदलाव से मानव के जीवन से जुड़ गया
है बहुत ही खतरनाक वायरस है मौत बहुत ही खतरनाक होती है जिनकी हुई उन्हें मरते हुएदेख नहीं सकते
वर्ष गुजर गया है करोड़ों के दर्द से
कराहते हुए 2021 में नई दस्तक दी है इस नई दस्तक के साथ नए करोना ने भी अपना नया रंग दिखा दिया है कथित वैज्ञानिकों ने अतीक मेहनत कर इसके
रोकथाम के लिए वैक्सीन तो तैयार कर ली है अब उसी के भरोसे 2021 और उसके आगे की जिंदगी जीने के लिए मानव
मजबूर है
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