दिव्य-दूत

These record-breaking figures with 3.8% growth in production and 17.15% growth in sales demonstrate the success of our strategic decisions, technology advancements, and long-term focus>> Amitava Mukherjee, CMD Amitav Mukherjee, CMD while commending the Vigilance team said, “The Vigilance organization is much more than just a fault finding body. एनएमडीसी ने सत्यनिष्ठा और नैतिक आचरण आधारित संकल्प लेते हुए सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाया नव पदस्थ जनसंपर्क आयुक्त डॉ रवि मित्तल ने किया पदभार ग्रहण Ghughua Rastriya fossils Park miracle surprise in earth एनटीपीसी दरली पाली का हो रहा है जबरदस्त विरोध राखाड ने कर दिया है नाक में दम मिशन मोड पर हो जल जीवन मिशन के काम, नल जल की हर योजना पर बारिकी से काम करें >> अरुण साव पुलिसकर्मियों के प्रति रखें मानवीय दृष्टिकोण - रमेन डेका राज्यपाल ओडिशा में वेदांता करेगा 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता में >> श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े शासन की योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण >> पी. दयानंद बैंक सखी राधा कश्यप को बिहान योजना से मिली आर्थिक मजबूती असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है दशहरा >>> मुख्यमंत्री विष्णु देव साय गुरु दर्शन मेला में शामिल हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मुख्यमंत्री साय ने पीकू द वाटर गार्जियन मॉडल का किया लोकार्पण Doctors of MMI Narayana Multispeciality Hospital did a great job and saved Master Ranbir's life Nand Ghar celebrates ‘Poshan Maah’; to distribute ‘Millet Protein Shakes’ to children across Vedanta’s operational states We are committed to continue our journey towards continuous improvement.>> K Praveen Kumar, Ed NSL NH Walkathon for healthier of heart. Participate over 5,000 Raipurians मुख्यमंत्री ने आकाशीय बिजली से 8 लोगों की मृत्यु पर गहरी संवेदना व्यक्त की

असत्य से सत्य की ओर,अंधकार से प्रकाश की ओर,मृत्यु से अमरता की ओर,हमें ले जाओॐ शांति शांति शांति।।

Anil Choubey 13-11-2020 17:31:59


**असतो मा सद्गमय।तमसो मा ज्योतिर्गमय।मृत्योर्मा अमृतं गमय।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्ति **

दीपावलीदिवाली या दीवाली शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है[2][3 दीपावली कार्तिकमास की अमावस्या को मनाया जाता है जो ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता ह

भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। तमसो मा ज्योतिर्गमयअर्हात् (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिखबौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं[7][8] तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।

माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।[9] अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ-सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।

दीवाली के दिन नेपालभारत,[10] श्रीलंकाम्यांमारमारीशसगुयानात्रिनिदाद और टोबैगोसूरीनाममलेशियासिंगापुरफिजीपाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर  सरकारी अवकाश होता है।

<input type="checkbox"> शब्द उत्पत्ति

दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमीकन्नड़मलयालम:ദീപാവലിतमिल:பாவளி और तेलुगू), 'दिवाली' (गुजराती:દિવાળીहिन्दी, दिवालीमराठी:दिवाळीकोंकणी:दिवाळी,पंजाबी), 'दियारी' (सिंधी:दियारी), और 'तिहार' (नेपाली) मारवाड़ी में दियाळी

इतिहास

भारत में प्राचीन काल से दीवाली को हिंदू कैलेंडर के कार्तिक माह में गर्मी की फसल के बाद के एक त्योहार के रूप में दर्शाया गया। पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीवाली का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि ये ग्रन्थ पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में किन्हीं केंद्रीय पाठ को विस्तृत कर लिखे गए थे। दीये (दीपक) को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, सूर्य जो जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता है और जो हिन्दू कैलंडर अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है। कुछ क्षेत्रों में हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं। नचिकेता की कथा जो सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन आदि के बारे में बताती है; पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व उपनिषद में लिखित है।

७वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष ने इसे दीपप्रतिपादुत्सवः कहा है जिसमें दीये जलाये जाते थे और नव वर-बधू को उपहार दिए जाते थ 9 वीं शताब्दी में राजशेखर ने काव्यमीमांसा में इसे दीपमालिका कहा है जिसमें घरों की पुताई की जाती थी और तेल के दीयों से रात में घरों, सड़कों और बाजारों सजाया जाता था। फारसी यात्री और इतिहासकार अल बेरुनी, ने भारत पर अपने ११ वीं सदी के संस्मरण में, दीवाली को कार्तिक महीने में नये चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार कहा है।

 

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