दिव्य-दूत

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6 दिसंबर भारतवंशियों का शौर्य दिवस है

Anil Choubey 05-12-2023 19:54:32


***** आज 6 दिसंबर भारतवंशियों के लिए शौर्य दिवस के बराबर है इस दिन राम जन्मभूमि पर खड़ा विवादित ढांचा हजारों का कार्य सेवकों ने जमीन दोज कर रामलाल का अस्थाई मंदिर बना दिया था ******

अयोध्या 05/12/2023  ///  6 दिसंबर भरतवंशीयों के लिए   ऐतिहासिक दिन है इस  दिन अयोध्या का वह विवादित ढांचा जिसे बावरी ढांचे कहा जाता है को हजारों कण सेवकों ने जमीन दोष कर दिया था जिस बाबर ने राम भगवान के पूजा स्थल को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया था 6 दिसंबर को हजारों कार  सेवकों ने उस अपवित्र ढांचे को जमीन डोज कर दिया था भारी मात्रा में गोलाबारी लाठीचार्ज हुई 40 से ज्यादा लोगों की शहादत हुई थी हजारों की संख्या में लोग घायल हुए , आज अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर  भव्य मंदिर निर्माण तेजी से आकर ले रहा कार्यकर्म के अनुसार  आगामी 22 जनवरी को रामलीला नए मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होंगे राम जन्मभूमि मंदिर में रामलीला की प्राण प्रतिष्ठा का यह अच्छा अवसर  ऐसा ही नहीं आया है इसके लिए करीब 500 वर्षों तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा इस पूरे संघर्ष में 6 दिसंबर 1992 का दिन विशेष महत्व रखता है इस दिन कार्य सेवकों ने जन्मभूमि पर बने  विवादित ढाचे को  हटाकर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रस्तुत किया क्योंकि जन्मभूमि से विवादित डाटा ढांचा हटाए बिना मंदिर निर्माण की कल्पना नहीं की  नहीं की जा सकती थी

6 दिसंबर 1992 की यह  घटना हिंदू समाज का शौर्यावता थी | 6 दिसंबर 1992 की घटना के बाद हिंदुओं ने यह संदेश दिया कि अब हम अपने मान बिंदुओं का अपमान बरदास नहीं कर सकते पांचवी धर्म संसद की घोषणा के अनुसार संतों के आहान पर 6 दिसंबर 1992 को लाखों राम भक्त अयोध्या पहुंच गए हिंदू हृदय सम्राट अशोक सिंघल  श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं दिगंबर अखाड़े के महंत  रामचंद्र दास परमहंस के नेतृत्व में रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे जैसे नारे गूंज  रहे थे विवादित ढांचे से करीब 200 मीटर की दूरी पर बने विशाल मंच पर कई नेता साधु संत बैठे थे इस मंच पर लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी उमा भारती का धार्मिक स्थल पर  कल राज मिश्र  विनय कटिहार जेसे कई नेता मौजूद थे

फैजाबाद आज की अयोध्या  के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में सुबह 9:00 बजे पूजा पाठ चल रहा था लोग भजन कीर्तन कर रहे थे दोपहर 12:00 के आसपास दोनों अधिकारीयों  ने विवादित ढांचा  परिषद का दौरा किया हालांकि दोनों ही यह भांपने  में नाकाम रहे की कुछ देर बाद ही वहां ऐसा कुछ होने वाला है जिसे कई दशकों तक याद किया जाएगा  दौरे के कुछ देर बाद वहां का माहौल एकदम बदल गया दोपहर के बाद  माहोल  बदलता ही चला गया विह्प  ने प्लान बनाया  था की राम जन्मभूमि परिषद में एक-एक मुट्ठी बालू को ले जाकर सरयू में डालेंगे और प्रतीकात्मक का सेवक करेंगे लेकिन कार सेवकों का एक वर्ग से सहमत नहीं था और  राम भक्तों संकल्प लिया की मुख्य विवादित ढांचे जड़ से हटा दिया जाये  यही विवाद की जड़ है विवादित ढांचा है इसलिए हम इस ढांचे को हटाकर ही मानेंगे

 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 को अयोध्या में कार्य सेवकों पर हुए  गोली की घटना को याद कर कर सेवक लगातार उत्तेजित हो रहे थे फिर क्या था देखते ही देखते कर सेवा वेरिकेट को  तोड़कर विवादित ढांचे के पास पहुंच गए मंत्र से कार  सेवकों को रोकने का प्रयास हुआ लेकिन मैं नहीं माने का सेवकों के विवादित  ढांचे को घेर लिया और ऊपर चढ़ने लगे कुछ अंदर घुस गए इस बीच सीआरपीएफ के जवानों ने हवाई पर किया परंतु बजरंग दल के तत्कालीन राष्ट्रीय स्वयंसेवक विनय कटिहार ने कहा कि जितने भी सुरक्षा कर्मी हैं अपने स्थान से 10 कदम पीछे हो जाएं फिर तो जय श्री राम और हर हर महादेव का नारा लगाते कर सेवक ढांचे को तोड़ने में लग गए साध्वी ऋतंभरा ने मंत्र से बोला कि एक धक्का और दो बावरी ढांचा तोड़ दो हमें  इसी वर्षों से प्रतीक्षा थी 1528 से हिंदू पुरुष को चुनौती दे रहा कलंक का है प्रतीक ढांचा है अशोक सिंघल के कहने पर 6 दिसंबर 1992 को ढांचा जमीदोज हो  जाने के तत्काल बीच वाले गुंबद के स्थान पर भगवान का सिंहासन और ढांचे के नीचे परंपरागत से चल रहा विग्रह सिंहासन को स्थापित कर पूजा प्रारंभ कर दी हजारों भक्तों ने रात दिन लगभग 36 घंटे मेहनत करके औजारों से केवल हाथों हाथ  से उसे स्थान के चारों कोने पर चार बल्लिया  खड़ी करके कपड़े लगा दिए 5-5 फीट ऊंची 25 फीट लंबी 25 फीट चौड़ी ईंटों की दीवार खड़ी कर दी और बन गया मंदिर अस्थाई मंदिर का निर्माण बाबा सत्यनारायण मौर्य के ने किया

दिसंबर 1992 को आती प्रातः संपूर्ण अयोध्या में कर्फ्यू लग गया परिषद केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथ में चला गया परंतु केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान भगवान की पूजा करते रहे एडवोकेट हरिशंकर जैन ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई कि भगवान भूखे हैं राज भोग पूजन के अनुमति दी जाए 1 जनवरी 1993 को उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश मूर्ति हरिनाथ तिलहरी ने दर्शन पूजन के अनुमति प्रदान करें

6 दिसंबर 1992 को ढांचा गिरने के बाद उसकी दीवारों के शिलालेख प्राप्त हुआ थे  विशेषज्ञ ने पढ़कर बताया कि यह शिलालेख 1154 ई का है इसमें संस्कृत में 20 पंक्तियां लिखी है ओम नमः शिवाय से जय शिलालेख प्रारंभ होता है और विष्णु हरि की स्वर्ण कलश युक्त मंदिर का इसमें वर्णन है अयोध्या के सौंदर्य के का इसमें वर्णन है दशानन के मान मर्दन करने वाले का वजन है

 

 

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