*****वास्तव में, महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है और इसे सबसे शक्तिशाली शिव मंत्र माना जाता है। यह दीर्घायु प्रदान करता है, विपत्तियों को दूर करता है और असामयिक मृत्यु को रोकता है । यह भय को भी दूर करता है और समग्र रूप से चंगा करता है। यह सनातन मन्त्र भी यजुर्वेद का ही एक भाग है।***
महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ फागुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव व पत्नी पार्वती की पूजा होती हैं। यह पूजा वृत रखने के दौरान की जाती है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है|भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है|
कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी कहा जाता हैं।
गेंदे के फूलों की अनेक प्रकार की मालायें जो शिव को चढ़ाई जाती हैं।
इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है। जलाभिषेक : जल से और दुग्धाभिषेक : दूध से। बहुत जल्दी सुबह-सुबह भगवान शिव के मन्दिरों पर भक्तों, जवान और बूढ़ों का ताँता लग जाता है वे सभी पारम्परिक शिवलिंग पूजा करने के लिए जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। भक्त सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान करते हैं जैसे गंगा, या (खजुराहो के शिव सागर में) या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में। यह शुद्धि के अनुष्ठान हैं, जो सभी हिन्दू त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पवित्र स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं, भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मन्दिर में पानी का बर्तन ले जाते हैं महिलाओं और पुरुषों दोनों सूर्य, विष्णु और शिव की प्रार्थना करते हैं मन्दिरों में घण्टी और "शंकर जी की जय" ध्वनि गूँजती है। भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर शिवलिंग पर पानी या दूध भी डालते हैं। हलाकि इन सभी अनुष्ठान का वर्णन हमारे पवित्र शास्त्रों में कहीं पर भी नही है, जिससे यह शास्त्रानुकूल साधना नही है।
शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए:
अभिषेक में निम्न वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है:
महाशिवरात्रि को नेपाल में व विशेष रूप से पशुपति नाथ मंदिर में व्यापक रूप से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर काठमांडू के पशुपतिनाथ मन्दिर पर भक्तजनों की भीड़ लगती है। इस अवसर पर भारत समेत विश्व के विभिन्न स्थानों से जोगी, एवम् भक्तजन इस मन्दिर में आते हैं।
शिव जिनसे योग परंपरा की शुरुआत मानी जाती है को आदि (प्रथम) गुरु माना जाता है। परंपरा के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है। इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गयी है जिसमें शास्त्रीय संगीत और नृत्य के विभिन्न रूप में प्रशिक्षित विभिन्न क्षेत्रों से कलाकारों पूरी रात प्रदर्शन करते हैं। शिवरात्रि को महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएँ अपने पति के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं व अविवाहित महिलाएं भगवान शिव, जिन्हें आदर्श पति के रूप में माना जाता है जैसे पति के लिए प्रार्थना करती हैं
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