रोज सूर्य उदय होता है अस्त होता है 24 घंटे के बाद फिर उदय होता है हमारे जीवन की घड़ी 24 घंटे की घड़ियों से बजी रहती है 2022 कब निकल गया पता ही नहीं चल कल 2023 का आगाज होना है जनवरी 2022 से लेकर दिसंबर तक राजनीतिक रूप से काफी उथल-पुथल भरा रहा डीजल पेट्रोल के दामों ने आम जनता को खूब रुलाया सरकार ने भी छल कपट कर कभी ₹10 बढ़ाया तो ₹3 कम कर दिया लेकिन 100 के पार पेट्रोल डीजल में तमाम रोजमर्रा की जरूरी सामान पर कुठारघात किया और 2022 में कीमतें आम आदमी के पहुंच से बहार हो गईं फिर भी जीवन रुका नहीं चरमराती जिन्दगी ने 2022 को झेला आब 2023 को भी झेलने तैयार है
2022 राजनीतिक उठापटक के चलते यह वर्ष बीजेपी के लिए ठीक नहीं रहा पांच राज्यों में सिर्फ गुजरात को छोड़कर बाकी जगह बीजेपी को अपने राज्यों से हाथ धोना पड़ा उपचुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन बहुत रद्दी रहा अधिकांश सीटें विधानसभा और लोकसभा की उनके हाथ से चली गई अब 2023 में राजनीतिक बड़ी लड़ाई शुरू होगी जिसमें हिंदी भाषा राज्यों में चुनाव का बिगुल बजेगा मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान में तयारियां शुरू हो गईं हैं
2022 में छत्तीसगढ़ में सफलता का कोई माइलस्टोन नहीं दिखा जहां तक राजनीतिक पार्टियों का मामला है उसमें कांग्रेस ने दोनों चुनाव जीत लिये बीजेपी अपने पुराने भ्रष्टाचार की फाइलों के चेहरे से अभी अपना मुखड़ा साफ नहीं कर पाई है हर जगह हैं उनके सामने 15 सालों हिसाब सामने आ कर खड़ा हो जाता था और वो जनता का सामना नहीं कर पते थे जनता ने उन्हें मतदान नहीं किया वही भूपेश बघेल ने आम जनता की जेब में जिस तरीके से पिछले 3 सालों में पैसा डाला है उससे कांग्रेस की पकड़ आम जनता में काफी मजबूत हो गई . उस मजबूत दीवार को तोड़ने के लिए फिलहाल बीजेपी के पास कोई विकल्प नहीं है भूपेश बघेल अपनी नीतियों के कारण लगातार अपना वोट बैंक मजबूत करने में लगे हैं फिलहाल अभी वो भेंट मुलाकात कर लोगों से मिलने जा रहे हैं फीडबैक लेने लेकिन ले नहीं पा रहे हैं हां आम जनता अपने बीच मुखिया को इतने सरल अंदाज में सामने देखकर जितना आनंद ले सकती है ले रहरही है तय कार्यक्रम के अनुसार किसी भी गरीब किसान आदिवासी के घर छत्तीसगढ़ी खाना खाकर यह संदेश भी दे रहे हैं कि हम आम आदमी हैं हम आपकी तरह से ही जीवन जीते हैं आपकी सेवा
भ्रष्टाचार को लेकर छत्तीसगढ़ में पिछले 3 सालों में कोयले को लेकरजो गब्बर सिंह टैक्स ₹25 से ₹50 टन के हिसाब से वसूला गया है उसका प्रचार प्रसार इतना आम हो गया था कि हर दूसरे आदमी को यह पता था कि इस तरीके की वसूली की जा रही है सभी जनते थे की यह वसूली उन्हीं हाथों में है जिन्होंने कभी अजीत जोगी के साथ मिलकर प्रदेश को लुटा था इनकी लूट देखकर लोगों को अजीत जोगी का चेहरा और शासन की कुरीतियाँ याद आने लगा थीं भूपेश बघेल उन लोगों पर नकेल क्यों नहीं कस पाए यह एक अलग बात है लेकिन 2022 में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार सबसे ज्यादा डैमेज इन्हीं पॉइंट पर रही है इन मामलों लेकर इनकम टैक्स .एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट. ईडी .सीबीआई जैसी एजेंसियों ने उन लोगों के गिरेबान में हाथ डाला और मामला इतना गंभीर तब हो गया जब मुख्यमंत्री की डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया को ईडी ने अपनी जांच के दायरे में शामिल कर लिया
आने वाला वर्ष 2023 चुनावी वर्ष है दोनों ही प्रतिद्वंदी पार्टियां अपनी अपनी जमीन तलाशने में लगी है लेकिन वास्तविकता यही है कि यदि टी एस बाबा विद्याचरण के रोल में आ गए तो वर्तमान सरकार को चुनाव जीतने में काफी दिक्कत हो जाएगी एसे में बहुमत किसी के पास नहीं होगा जोड़ तोड़ कर ही सरकार बनाई जाएगी वर्तमान सरकार को यह एक कठिन परीक्षा का समय होगा जिस तरीके से टी एस बाबा लगातार अपने को उपेक्षित समझते हुए बयानबाजी कर रहे हैं यह भूपेश बघेल के लिए एक चेतावनी की तरह ही है बाबा के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं लेकिन भूपेश बघेल वर्तमान में मुख्यमंत्री उन्हें इस मामले में गंभीरता से विचार कर अपनी राजनीतिक जमीन को और मजबूत करने की जरूरत आन पढ़ने वाली है इस पूरे मामले में भाजपा की भूमिका वही है बिल्ली के भाग्य से छींका टूटे और मक्खन का स्वाद चखना मिल जाए लेकिन लगता नहीं कि इस बार ऐसा कुछ होगा क्योंकि भूपेश बघेल ने जिस तरीके से अपनी राजनीतिक बाड़ी इतनी मजबूत कर रखी है उस पर सेंध लगाना भाजपा के बस में नहीं
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