दिव्य-दूत

जनजातीय संस्कृति ने भगवान श्रीराम को अपने हृदय में बसा रखा है >>> मुख्यमंत्री विष्णु देव साय गिद्ध संरक्षण पर रायपुर में कार्यशाला का होगा आयोजन धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान से बदलेगी छत्तीसगढ़ के आदिवासी गांवों की तस्वीर - मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय Pradeep Tandon Appointed Chairman of PHDCCI State Council कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में फिर से आतंकवाद और अलगाववाद का काला दौर लाना चाहती है >> विष्णुदेव साय These record-breaking figures with 3.8% growth in production and 17.15% growth in sales demonstrate the success of our strategic decisions, technology advancements, and long-term focus>> Amitava Mukherjee, CMD Amitav Mukherjee, CMD while commending the Vigilance team said, “The Vigilance organization is much more than just a fault finding body. एनएमडीसी ने सत्यनिष्ठा और नैतिक आचरण आधारित संकल्प लेते हुए सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाया नव पदस्थ जनसंपर्क आयुक्त डॉ रवि मित्तल ने किया पदभार ग्रहण Ghughua Rastriya fossils Park miracle surprise in earth एनटीपीसी दरली पाली का हो रहा है जबरदस्त विरोध राखाड ने कर दिया है नाक में दम मिशन मोड पर हो जल जीवन मिशन के काम, नल जल की हर योजना पर बारिकी से काम करें >> अरुण साव पुलिसकर्मियों के प्रति रखें मानवीय दृष्टिकोण - रमेन डेका राज्यपाल ओडिशा में वेदांता करेगा 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता में >> श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े शासन की योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण >> पी. दयानंद बैंक सखी राधा कश्यप को बिहान योजना से मिली आर्थिक मजबूती असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है दशहरा >>> मुख्यमंत्री विष्णु देव साय गुरु दर्शन मेला में शामिल हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मुख्यमंत्री साय ने पीकू द वाटर गार्जियन मॉडल का किया लोकार्पण

चैत्र माह में नव वर्ष मनाने के वैज्ञानिक कारण हैं इस समय प्रकृति का नव निर्माण होता है

Anil Choubey 02-04-2022 09:03:44


नव संवत्सर 2079

आप सभी सनातन धर्म प्रेमियों को हिंदू नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं। आपको अवगत कराना चाहेंगे दिनांक 2 अप्रैल 2022 शनिवार को हिंदू नव वर्ष एवं नवरात्रि का प्रारंभ होगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी द्वारा इसी दिन से सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया गया था।

 हिंदू रीति रिवाज एवं पर्वों के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण अवश्य होता है चैत्र माह में नव वर्ष मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह रहता है इस समय प्रकृति का नव निर्माण होता है पतझड़ समाप्त होकर बसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति हरी भरी हो जाती है चारों तरफ सुंदर पुष्प एवं हरियाली देखने को मिलती है। इसके अतिरिक्त नव वर्ष से प्रकृति एवं धरती का एक चक्र पूरा होता है धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करती है ।

हिंदू नव संवत्सर के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ होती हैं। इस वर्ष संवत्सर का नाम नल होगा जिसमें शनि देव राजा एवं देव गुरु बृहस्पति मंत्री होंगे।

 नल नाम संवत्सर होने से विश्व में अग्नि एवं युद्ध का भय बना रहेगा महंगाई बढ़ेगी, राजाओं/ सरकार में बैर भाव रहेगा। नल नाम संवत्सर में पैदा हुए जातक अति बुद्धिमान होंगे एवं जल से संबंधित कारोबार में निपुण, धनार्जन करने में सफल रहेंगे।

राजा शनि

न्यायाधीश शनि के वर्ष के राजा होने से सभी जातकों को कर्मों के अनुसार ही फल देंगे शनि राजा होने से विश्व में अग्नि  का भय, रोग, कष्ट, वैश्विक युद्ध, राजा/ सरकार के बीच मतभेद, जनहानि, भूकंप, वर्षा, उपद्रव, धन हानि, प्राकृतिक प्रकोपों से प्रजा को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। मौद्रिक नीति में परिवर्तन देखने को मिलेगा। व्यापार में कोयला, लोहा, लकड़ी, स्टील के मूल्य में वृद्धि देखने को मिलेगी।

मंत्री गुरु

इस वर्ष मेष संक्रांति गुरुवार को होने से देव गुरु बृहस्पति को मंत्री पद प्राप्त। देवगुरु के मंत्री होने से किसानों को विशेष लाभ प्राप्त होगा। अनाज की अच्छी पैदावार देखने को मिलेगी। अच्छी वर्षा के साथ ही प्रगति के लिए अच्छा वातावरण बनने की संभावना है। देवगुरु के प्रभाव से शासन की नई योजनाओं से लोगों को प्रसन्नता रहने के साथ ही तेल, घी, हल्दी, केसर, अरहर, गेहूं, कपास आदि फसलों की अच्छी पैदावार से जनता लाभ प्राप्त करेगी। इसके अतिरिक्त सोना खरीदना सभी के लिए सुविधाजनक रहेगा। इसके अतिरिक्त गुरु मंत्री होने से विद्यार्थी वर्ग शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

(राजा शनिदेव एवं मंत्री देवगुरु बृहस्पति दोनों की प्रवृत्ति भिन्न होने के कारण राष्ट्रीय एवं वैश्विक नीति नियंताओं में असमंजस की स्थिति रहेगी।)

अतिरिक्त ग्रहों को पदभार

1सूर्य देव को सस्येश का पद।

2बुधदेव को दुर्गेश,मेघेश का पद । 3धनेश,नीरसेश का पद शनिदेव को।

4चंद्र देव को रसेश का पद। 5शुक्रदेव को धान्येश का पद।

6मंगल देव फलेश (फलों) का पद।

वर्ष में चार ग्रहण

वर्ष में चार ग्रहण पड़ेंगे जिसमें दो सूर्य ग्रहण एवं दो चंद्रग्रहण होंगे।

वर्ष में प्रथम सूर्य ग्रहण दिनांक 30 अप्रैल 2022 खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा।

16 मई 2022 अगस्त पूर्ण चंद्र ग्रहण रहेगा।

25 अक्टूबर 2022 को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण पड़ेगा।

8 नवंबर 2022 को वर्ष का अंतिम एवं दूसरा चंद्रग्रहण रहेगा। नवरात्र विशेष अगले अंक में पढ़ें।

श्री सिद्ध इन्टरनेशनल ज्योतिष.रत्न वास्तु.समाधान केन्द्र अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ श्री अरविंदाचार्य जी महाराज सम्पर्क सूत्र

9300551008,9300055108

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :

ADs